*माँ और प्रकृति*
यदि मानव जाति अपराध करने से पुर्व ही ये विचार कर ले कि इचका अंत कितना कष्टकारी और पीड़ादायी हौगा तो ना ही अपराध हींगे ओर ना ही अपराध की भावना जन्म ले पायेगी।
माँ और प्रकृति
माधब गोगोई
संस्थापक
दूनिया के है तामाम लोग, अब आपलोगो का समय आ गया है, ईस धरती से जाने का, आप लोगो का पाप वर गया है, धरती को पाप मय कर दिया ...
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