*माँ और प्रकृति*
यदि मानव जाति अपराध करने से पुर्व ही ये विचार कर ले कि इचका अंत कितना कष्टकारी और पीड़ादायी हौगा तो ना ही अपराध हींगे ओर ना ही अपराध की भावना जन्म ले पायेगी।
माँ और प्रकृति
माधब गोगोई
संस्थापक
মোৰ জাতি এটাই , মই মানুহ জাতি , মোৰ ধৰ্ম এটাই , ভাল শুদ্ধ সত্য কৰ্মই মোৰ ধৰ্ম। মাধৱ গগৈ অসম,ভাৰত। Northeast News India
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